विवाहित दंपति को सुलह कराके भेजा घर
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सद्दाम रंगरेज, प्रधान संपादक | Tue, 17-Jun-2025 |
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कुचामनसिटी(नागौर डेली न्यूज) : अध्यक्ष ताल्लुका विधिक सेवा समिति एवं अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश कुचामन सुन्दर लाल खारोल ने वर्ष, 2025 की तृतीय राष्ट्रीय लोक अदालत को सफल क्रियान्वयन के क्रम में पारिवारिक प्रकरणों में प्री-काउसलिंग करवाते हुए दो विवाहित दम्पतियों को पुन: एक साथ रहने के लिए न्यायालय परिसर से खुशी-खुशी विदा किया।
पक्षकारान द्वारा विवाह विच्छेद के लिए पारिवारिक प्रार्थना-पत्र अन्तर्गत धारा 13 (1) हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955 का प्रस्तुत होने पीठासीन अधिकारी सुन्दर लाल खारोल ने पक्षकारान को जरिए प्री-काउसलिंग के नोटिस से तलब किया एवं पक्षकारान के उपस्थित होने के उपरान्त दोनों पक्षों में संयुक्त व एकल वार्ताएं करवाते हुए दोनों पक्षों को एक साथ रहकर अपना वैवाहिक जीवन पुन: शुरू करने की सहमति पर दोनों वैवाहिक दम्पतियों को न्यायालय परिसर से हर्ष के साथ रवाना किया गया।
-यह था प्रकरण
पारिवारिक प्रार्थना-पत्र संख्या 5/2025 श्रीमती मनीषा व मंजीतसिंह में प्रार्थीया की ओर से अधिवक्ता श्रीमती लक्ष्मी चौधरी ने एवं अप्रार्थी की ओर से अधिवक्ता मोहम्मद ईस्लाम ने पैरवी की। दोनों अधिवक्ता के सकारात्मक सहयोग एवं मध्यस्थ विनोद बागड़ा के प्रयासों से दो विवाहित दम्पतियों को पुन: न्यायालय परिसर से घर भेजा गया। प्रार्थीगण का विवाह वर्ष, 2018 में होने के उपरान्त प्रार्थीया के ससुरालवाले उसे दहेज के लिए तंग व परेशान करने लगे। प्रार्थी आए दिन शराब पीकर उसके साथ मारपीट करता था।
परिजनों एवं सामाजिक समझाईश के बावजूद भी अप्रार्थी व उसके परिवारवालों में कोई सुधार नहीं हुआ। अप्रार्थी के दिन-प्रतिदिन क्रूरतापूर्वक व्यवहार के कारण एवं अप्रार्थी का पति होने के नैतिक कर्तव्य से विमुख होने कारण प्रार्थीया द्वारा विवाह-विच्छेद का प्रार्थना-पत्र प्रस्तुत किया गया, किन्तु न्यायालय के पीठासीन अधिकारी सुन्दर लाल खारोल के प्रयासों से पुन: दोनों विवाहित जोड़ों पुन: अपना दाम्पत्य जीवन शुरू किया।
परिजनों एवं सामाजिक समझाईश के बावजूद भी अप्रार्थी व उसके परिवारवालों में कोई सुधार नहीं हुआ। अप्रार्थी के दिन-प्रतिदिन क्रूरतापूर्वक व्यवहार के कारण एवं अप्रार्थी का पति होने के नैतिक कर्तव्य से विमुख होने कारण प्रार्थीया द्वारा विवाह-विच्छेद का प्रार्थना-पत्र प्रस्तुत किया गया, किन्तु न्यायालय के पीठासीन अधिकारी सुन्दर लाल खारोल के प्रयासों से पुन: दोनों विवाहित जोड़ों पुन: अपना दाम्पत्य जीवन शुरू किया।