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रमजान के पवित्र माह में कुचामन के असलम भाया बने मिसाल, दिव्यांग होते हुए भी अद्वितीय हौसला

सद्दाम रंगरेज, प्रधान संपादक Wed, 26-Mar-2025

कुचामनसिटी(नागौर डेली न्यूज) : रमजान का पवित्र महीना पूरी दुनिया में मुस्लिम समुदाय के लिए विशेष महत्व रखता है। यह आत्मसंयम, इबादत और अल्लाह की रहमत का महीना होता है। हर उम्र के लोग इस महीने में रोजे रखते हैं और इबादत में मशगूल रहते हैं। इसी क्रम में कुचामन सिटी के गुलजारपुरा निवासी असलम टाक  'भाया' ने एक ऐसी मिसाल पेश की है, जो न सिर्फ मुस्लिम समाज बल्कि पूरे मानव समुदाय के लिए प्रेरणादायक है।

दिव्यांग होते हुए भी अद्वितीय हौसला


शहर में  'भाया' के नाम से मशहूर , असलम टाक जन्म से ही दिव्यांग हैं। उनके दोनों हाथ और दोनों पैर पूरी तरह विकसित नहीं हैं, जिससे वे अपने दैनिक कार्यों के लिए दूसरों पर निर्भर रहते हैं। लेकिन इस कमी को उन्होंने कभी अपनी इबादत की राह में बाधा नहीं बनने दिया। रमजान के इस मुकद्दस महीने में वे पूरे रोजे रख रहे हैं और न सिर्फ पांचों वक्त की नमाज अदा कर रहे हैं, बल्कि रात में पढ़ी जाने वाली तरावीह की विशेष नमाज भी पूरी शिद्दत के साथ अदा कर रहे हैं।

 

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उनकी यह इबादत सिर्फ इस साल की नहीं है, बल्कि पिछले कई वर्षों से वे लगातार रमजान के दौरान रोजे रखते आ रहे हैं और नमाज भी नियमित रूप से अदा कर रहे है।  उनके लिए यह कोई बाध्यता नहीं, बल्कि अल्लाह के प्रति सच्चे प्रेम और समर्पण का प्रतीक है।

नमाज अदा करने का विशेष तरीका

असलम टाक आम लोगों की तरह बैठ भी नहीं सकते और न ही सामान्य स्थिति में नमाज पढ़ सकते हैं। लेकिन इस्लाम धर्म में दिव्यांगों और बीमारों के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं, जिसके तहत वे अपनी सुविधानुसार इबादत कर सकते हैं। असलम इसी तरीके का पालन करते हैं।

जब नमाज का वक्त होता है, तो उनके परिजन उन्हें मस्जिद लेकर जाते हैं। वहां वे मस्जिद परिसर में एक खंभे के सहारे बैठकर जमात के साथ नमाज अदा करते हैं। उनका यह संकल्प इस बात को दर्शाता है कि अगर इरादे मजबूत हों, तो कोई भी शारीरिक बाधा इबादत की राह में रुकावट नहीं बन सकती।

संघर्षों से भरा जीवन, लेकिन इरादे मजबूत


असलम टाक का जीवन संघर्षों से भरा हुआ है। वे कुचामन सिटी के गुलजारपुरा क्षेत्र के निवासी अली मोहम्मद और खातून के पुत्र हैं। जब वे मात्र चार महीने के थे, तब उनकी मां का निधन हो गया। इसके बाद उनकी परवरिश की जिम्मेदारी उनकी दादी ने संभाली।

इसके बाद कुछ वर्षों तक वे अपनी मौसी के घर रहे, जहां उन्हें प्यार और देखभाल मिली। परिजनों ने कई डॉक्टरों से परामर्श लिया और इलाज के प्रयास किए, लेकिन कोई समाधान नहीं मिला। वर्तमान में असलम अपने ताऊजी के पुत्र मोहम्मद इकबाल और उनकी पत्नी जरीना के साथ रहते हैं। यह दंपति असलम की देखभाल कर रहा है और उनकी हर जरूरत का ध्यान रख रहा है।

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सरकारी योजनाओं से वंचित असलम

इतनी कठिनाइयों के बावजूद असलम टाक को किसी प्रकार की सरकारी सहायता नहीं मिल रही। वे दिव्यांगजन की श्रेणी में आते हैं और विभिन्न सरकारी योजनाओं के पात्र भी हैं, लेकिन अब तक उन्हें न तो कोई पेंशन मिल रही है और न ही कोई अन्य सुविधा। उनके परिजनों ने सरकारी सहायता के लिए कई बार प्रशासन से संपर्क किया, लेकिन कोई सकारात्मक परिणाम नहीं मिला।

असलम टाक ने प्रशासन से अपील की है कि उनकी स्थिति पर ध्यान दिया जाए और उन्हें उन योजनाओं का लाभ दिया जाए, जिनके वे हकदार हैं। उनकी यह मांग न सिर्फ व्यक्तिगत राहत की जरूरत को दर्शाती है, बल्कि प्रशासनिक तंत्र की उस अनदेखी को भी उजागर करती है, जहां जरूरतमंदों को उनका हक नहीं मिल पाता।

असलम की कहानी से मिलने वाली प्रेरणा

असलम टाक का जीवन इस बात का प्रमाण है कि सच्ची श्रद्धा और समर्पण किसी भी शारीरिक बाधा से ऊपर होती है। उनकी कहानी उन लोगों के लिए प्रेरणा है जो छोटी-छोटी समस्याओं के कारण अपनी जिम्मेदारियों से पीछे हट जाते हैं।

असलम का संकल्प यह संदेश देता है कि अगर मन में सच्ची लगन हो, तो किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है। रमजान में रोजे रखना और नियमित रूप से नमाज अदा करना उनके मजबूत हौसले और आत्मविश्वास को दर्शाता है।

समाज और प्रशासन को आगे आने की जरूरत

असलम टाक जैसे लोगों को अगर सही मदद मिले, तो वे सरकार योजनाओं से लाभान्वित होकर, आत्मनिर्भर बन सकते हैं। समाज और प्रशासन को उनकी ओर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। अगर कुचामन सिटी का प्रशासन उनकी सहायता करे और उन्हें उचित योजनाओं से जोड़ा जाए, तो यह सच्ची इंसानियत की मिसाल होगी।

असलम टाक की ये कहानी सिर्फ रमजान तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जीवन के हर पहलू में धैर्य, समर्पण और आत्मनिर्भरता की प्रेरणा देती है। उनकी इच्छाशक्ति और विश्वास समाज के हर व्यक्ति को यह सीख देने के लिए काफी है कि अगर इरादे मजबूत हों, तो कोई भी बाधा,आपका रास्ता नहीं रोक सकती।

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