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जवाहर स्कूल में बौद्धिक संपदा अधिकार एवं वैज्ञानिक जागरूकता पर ऐतिहासिक संगोष्ठी हुई आयोजित

सद्दाम रंगरेज, प्रधान संपादक Wed, 03-Dec-2025

कुचामनसिटी(नागौर डेली न्यूज) : PM Shri जवाहर राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, कुचामन सिटी में भारत में बौद्धिक संपदा (Intellectual Property) की अपार क्षमता तथा दिशा–निर्देशों विषय पर एक महत्वपूर्ण कांफ्रेंस का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों में वैज्ञानिक प्रतिभा, नवाचार (Innovation) और पेटेंट जागरूकता को बढ़ावा देना था। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय, अजमेर के पूर्व कुलपति प्रोफेसर के. के. शर्मा ने कहा कि —

 
“बालकों का खोजी दिमाग ही भारत का भविष्य है। नवीनता वही है जिसमें पहले जैसी समान उपयोगिता न रही हो और जो तकनीकी रूप से समाज के लिए उपयोगी बन सके।”
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इस अवसर पर जवाहर विद्यालय के छात्रों के साथ-साथ सुरजी देवी स्कूल तथा सोनी देवी स्कूल की बालिकाओं ने भी बढ़-चढ़कर भाग लिया और बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) की गहन जानकारी प्राप्त की। प्रो. शर्मा के अनुसार, यह सम्पूर्ण नागौर, डीडवाना–कुचामन क्षेत्र के साथ-साथ संपूर्ण राजस्थान में  बच्चों हेतु IPR जागरूकता का पहला वैज्ञानिक प्रयास था। प्रो. के. के. शर्मा का प्रेरक संवाद सेमिनार में बच्चों ने प्रो. शर्मा से सैकड़ों प्रश्न पूछे। उन्होंने बच्चों की जिज्ञासाओं को शांत करते हुए बताया कि—नया आविष्कार वही है जिसमें नवीनता (Novelty) और उपयोगिता (Utility) हो।
 
विद्यार्थी छोटे-छोटे प्रयोगों से भी पेटेंट की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं। शिक्षक बच्चों की खोजी प्रवृत्ति को प्रोत्साहित करके उन्हें नवाचार की ओर मार्गदर्शित कर सकते हैं। सर्पदंश जागरूकता पर विशेष तकनीकी जानकारी दी। प्रो. शर्मा ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा स्वीकृत याचिका (दिनांक 13 दिसंबर 2024) का उल्लेख करते हुए सर्पदंश जागरूकता पर वैज्ञानिक जानकारी दी।
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उन्होंने बताया कि—विषैले सर्पों की पहचान अनिवार्य है।सर्पदंश की स्थिति में Pressure Immobilization Technique अपनाने से विष के फैलाव को रोका जा सकता है। सोते समय बिस्तर झाड़कर सोने से आमतौर पर कामन करेत का  जोखिम  कम हो जाता है। किसी भी स्थिति में झाड़–फूंक, तंत्र–मंत्र या देरी से बचें।
 
तुरंत सरकारी अस्पताल या एम्बुलेंस से संपर्क करें। किसान खेत में कार्य करते समय मोटे दस्ताने, ऊँचे जूते और हुक वाली छड़ी साथ रखें।साँप पर्यावरण के लिए अत्यंत उपयोगी हैं, अत: उन्हें अनावश्यक रूप से न मारें—वन विभाग या पुलिस को सूचना दें। इस अवसर पर प्रो. शर्मा ने 22 भाषाओं में मुद्रित सर्पदंश बचाव पोस्टर विद्यालय को भेंट किया, जिसे जन–जन तक पहुँचाने की अपील की।
 
कार्यक्रम में विद्यालय की प्रधानाचार्या  मंजू चौधरी ने कहा कि “प्रो. शर्मा जैसे अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वैज्ञानिक का विद्यालय में आगमन हमारे विद्यार्थियों के लिए सौभाग्य है। यह ज्ञान आने वाली पीढ़ियों को दिशा देगा।” विद्यालय के उप–प्रधानाचार्य डॉ. भंवरलाल गुगड़, जो वर्ष 2001 में प्रो. शर्मा के शिष्य रह चुके हैं, के आग्रह पर प्रो. शर्मा पहली बार विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय स्तर से आगे बढ़कर स्कूली शिक्षा क्षेत्र में आयोजित इस वैज्ञानिक संगोष्ठी में शामिल हुए।
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कार्यक्रम में अजमेर मेडिकल कॉलेज के डॉ. ओम सिंह राजावत, रामनिवास साहू, पूर्व प्रधानाचार्य छगन लाल शर्मा,प्रधानाचार्य बख्तावर सिंह राजपुरोहित, विद्यालय का संपूर्ण स्टाफ, बरखा जैन सहित शहर के सभी सरकारी विद्यालयों के सीनियर छात्र–छात्राएँ उपस्थित रहे। बड़े वैज्ञानिक से सीधे संवाद का अवसर पाकर बच्चे रोमांचित और उत्साहित दिखे।यह संगोष्ठी नागौर–डीडवाना–कुचामन बेल्ट में बौद्धिक संपदा और वैज्ञानिक शोध संस्कृति को बढ़ावा देने की दिशा में ऐतिहासिक कदम सिद्ध हुई। प्रो. शर्मा के मार्गदर्शन ने बच्चों में नवीन सोच, खोज की भावना और वैज्ञानिक दृष्टिकोण को नई ऊर्जा प्रदान की।
 

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