विज्ञापन

पुलिसकर्मियों की हत्या का प्रयास, कुचामन कोर्ट ने सुनाई 10 साल कारावास की सजा

सद्दाम रंगरेज, प्रधान संपादक Wed, 17-Sep-2025

कुचामनसिटी(नागौर डेली न्यूज)। अपर लोक अभियोजक मनीष शर्मा ने बताया कि 4 फरवरी 2017 को पुलिस थाना कुचामनसिटी को पुलिसकर्मी राजेश कुमार ने रिपोर्ट दी कि वे मुखबीर की सूचना पर सरकारी व सहकर्मी के प्राइवेट वाहन को लेकर रूपपुरा पहुंचे तो एक बिना नम्बरी केम्पर गाड़ी के आगे लगाकर नीचे उतरे तो केम्पर चालक ने पुलिसकर्मी को जान से मारने की नियत से केम्पर चढ़ाने का प्रयास किया। उसने गाड़ी की ओट ली तब केम्पर चालक ने स्विफ्ट गाड़ी में बैठे चालक ने पुलिसकर्मी को मारने की नियत से टक्कर मारी तथा पुलिसकर्मी द्वारा गाड़ी पर फायर किये तो केम्पर चालक गाड़ी लेकर बरवाला की तरफ भाग गया, 

विज्ञापन

जहां पर पुलिस जाब्ते द्वारा कैंपर गाड़ी के आगे पुलिस गाड़ी को लगायी तो कैंपर गाड़ी ने खतरनाक तरीके से पीछे लेते हुए स्विफ्ट गाड़ी में बैठे पुलिसकर्मियों के वाहन पर जोरदार टक्कर मारकर पुलिस कर्मियों को मारने की कोशिश की तब पुलिसकर्मी द्वारा हवाई फायर कर एवं गाड़ी को रोकने का कहने पर कैंपर चालक ने गाड़ी को रोका तब कैंपर चालक को नाम पूछने पर उसने अपना नाम हनुमानराम बताया। पुलिस गाड़ी के टक्कर मारने का कारण पूछा तो उसने कहा कि रिछपाल, खेरवा गांव के व्यक्ति ने उसे यह चोरी की गाड़ी बेचने के लिए कहा था और कहा कि अगर पुलिसकर्मी तुम्हारा पीछा करें तो उनके हाथ मत आना और उनको टक्कर मार देना। उसी के कहने पर मैं गाड़ी बेचने जा रहा था और उसी के कहने पर उसने पुलिस वाहन के टक्कर मारी। 

अभियुक्तगण हनुमानराम व रिछपाल के विरुद्ध अनुसंधान पूर्ण कर अभियुक्तगण के विरुद्ध 307, 332, 353, 336, 427, 108, 120बी भारतीय दंड संहिता में अपराध प्रमाणित मानकर आरोप पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। दौराने अन्वीक्षा अभियोजन की ओर से प्रकरण में 14 गवाह के बयान करवाए गए एवं 37 दस्तावेज प्रदर्शित कराए गए तत्पश्चात बहस सुनकर माननीय अपर सेशन न्यायालय के पीठासीन अधिकारी सुन्दर लाल खारोल द्वारा अभियुक्तगण हनुमानराम व रिछपाल को उपरोक्त धाराओं में दोषी मानकर 10 वर्ष के कठोर कारावास एवं एक लाख  रुपए के अर्थ दंड से दंडित किया गया एवं अदम अदायगी अर्थदंड के रूप में  छ: माह के अतिरिक्त कारावास की सजा सुनाई गई।
 
विज्ञापन
तत्पश्चात बहस सुनकर त्वरित कार्यवाही करते हुए अपर सेशन न्यायालय के पीठासीन अधिकारी सुन्दर लाल खारोल द्वारा अभियुक्तगण हनुमानराम व रिछपाल को धारा 307/120 बी भारतीय दण्ड संहिता में 10 वर्ष के कठोर कारावास एवं  एक लाख रुपए के अर्थदंड से दंडित किया गया एवं अदम अदायगी छ: माह का कठोर कारावास की सजा सुनाई गई। धारा 353/120 बी भारतीय दण्ड संहिता में 02 वर्ष के साधरण कारावास एवं पांच हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया गया एवं अदम अदायगी एक माह का साधारण कारावास की सजा सुनाई गई। धारा 332/120 बी भारतीय दण्ड संहिता में 03 वर्ष के साधारण कारावास एवं  पांच हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया गया एवं अदम अदायगी एक माह का साधारण कारावास की सजा सुनाई गई।
 
धारा 336/120 बी भारतीय दण्ड संहिता में 03 माह के साधारण कारावास एवं 250/- रुपए के अर्थदंड से दंडित किया गया एवं अदम अदायगी 10 दिवस का साधारण कारावास की सजा सुनाई गई। धारा 427/120 बी भारतीय दण्ड संहिता में 02 वर्ष के साधारण कारावास एवं  पांच हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया गया एवं अदम अदायगी एक माह का साधारण कारावास की सजा सुनाई गई। 
विज्ञापन

अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश सुन्दर लाल खारोल द्वारा निर्णय पारित करते हुए कहा कि पुलिस का यह कर्तव्य है कि वह अपराधियों से समाज की रक्षा करें तथा समाज में लोक शान्ति की स्थापना करें। पुलिस कार्मिक हर परिस्थितियों में सदैव लोक सेवक के नाते अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने हेतु तत्पर रहते है। ऐसे में पुलिस कार्मिकों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करने का दायित्व विधि पर आ जाता है। पुलिस कार्मिकों को भी अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियां होती है, उसके बावजूद वह हर परिस्थिति में आमजन की सुरक्षा हेतु तैनात रहते है। यदि ऐसे प्रकरणों में जहां पुलिस अनुसंधान संस्था नहीं होकर खुद आहत है, वहां अभियुक्त के प्रति किसी प्रकार की नरमी ना सिर्फ आहत पुलिस कार्मिको के साथ अन्याय है, बल्कि उस प्रत्येक पुलिस कर्मचारी के लिए, जो विपरीत परिस्थितियों में अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहा है, उसके लिए भी यह विपरीत प्रभाव रखने वाला होगा तथा उनके मनोबल को गिरायेगा।अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश सुन्दर लाल खारोल द्वारा निर्णय पारित करते हुए कहा कि पुलिस का यह कर्तव्य है कि वह अपराधियों से समाज की रक्षा करें तथा समाज में लोक शान्ति की स्थापना करें। पुलिस कार्मिक हर परिस्थितियों में सदैव लोक सेवक के नाते अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने हेतु तत्पर रहते है। ऐसे में पुलिस कार्मिकों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करने का दायित्व विधि पर आ जाता है। पुलिस कार्मिकों को भी अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियां होती है, उसके बावजूद वह हर परिस्थिति में आमजन की सुरक्षा हेतु तैनात रहते है। यदि ऐसे प्रकरणों में जहां पुलिस अनुसंधान संस्था नहीं होकर खुद आहत है, वहां अभियुक्त के प्रति किसी प्रकार की नरमी ना सिर्फ आहत पुलिस कार्मिको के साथ अन्याय है, बल्कि उस प्रत्येक पुलिस कर्मचारी के लिए, जो विपरीत परिस्थितियों में अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहा है, उसके लिए भी यह विपरीत प्रभाव रखने वाला होगा तथा उनके मनोबल को गिरायेगा।


विज्ञापन
( Connecting with social media platform )
App | E-paper   | Facebook   | Youtube
( पर फ़ॉलो भी कर सकते है )

( नागौर डेली की लेटेस्ट न्यूज़ अपने व्हात्सप्प पे प्राप्त करने के लिए ग्रुप ज्वाइन करे )
Click to join Group
विज्ञापन

Latest News