
प्रजापति परिवार ने वाल्मीकि परिवार का कालीन बिछाकर किया अभिनन्दन, राजशाही ठाठबाट से करवाया भोजन
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शौकत खान | Sat, 08-Feb-2025 |
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डेगाना(नागौर डेली न्यूज)। जहां एक तरफ देशभर में आए दिन समाचार पत्रों, टीवी चैनलों, सोशल मीडिया पर उच्च-नीच, भेदभाव, सामाजिक विचारधारा के टकराव की खबरें सुनी जा रही है वहीं दूसरी ओर समाज में एक अनूठी पहल और एक सुखद तस्वीर डेगाना उपखंड के ग्राम बंवरला में देखने को मिली। गांव के प्रजापत समाज के परिवार ने सामाजिक संस्कारों की एक कड़ी में गंगा प्रसादी के दिन गांव के ही वाल्मीकि समाज के परिवार को अपने घर तक बैंडबाजों के साथ सफेद 1 किलोमीटर तक कालीन बिछाकर, ऊपर सफेद पर्दा व छतरियों की छाया करते हुए सम्मानपूर्वक अपने घर तक लाए।
इस सामाजिक समरसता, समाज में बढ़ते भेदभाव व उच्च- नीच के प्रभाव को मिटाने के लिए प्रजापत समाज की अनूठी पहल की चहुंओर प्रशंसा हो रही है। वर्तमान में जागरूक समाज का एक जीवंत उदाहरण है। मौका था गंगाप्रसादी के एक कार्यक्रम का। फिर भोजन करवाते हुए उन्हें सोने-चांदी के उपहार देकर ऊंच-नीच का भेद मिटाने की मिसाल पेश की गई। शिक्षित प्रजापत समाज के परिवार की अनूठी पहल बंवरला गांव निवासी शिक्षाविद् राजाराम प्रजापति की माता रामप्यारी प्रजापति की 26 फरवरी को मृत्यु होने पर हुए द्वादशा गंगा प्रसादी के कार्यक्रम में परिजनों ने एक अनूठी प्रेरणादाई पहल की। कार्यक्रम में सुबह 10 बजे प्रजापति परिवार के सदस्य अपने गांव स्थित वाल्मीकि परिवार के घर पहुंचे।

फिर वहां से वाल्मीकि परिवार के धुलाराम वाल्मीकि सहित 10 से अधिक परिजनों को उनके घर से स्वयं के मकान तक करीब 1 किलोमीटर रास्ते पर सफेद कालीन बिछाते हुए बैंड-बाजों व महिलाओं ने मंगल गीतों के साथ लेकर पहुंचे। इसके बाद बाजोट पर चांदी की थाली में भोजन परोसा गया। इस परंपरा को निभाने के लिए गांव में सैकड़ो की संख्या में महिलाएं, पुरुष, युवाओं सहित ग्रामीणों का उत्साह देखते ही बना। पूरे जोश और उत्साह के साथ जैसे ही वाल्मीकि परिवार से उनको पूरे गांव में से पूरे गाजे बाजे और मान सम्मान के साथ प्रजापति समाज के घर में लाया गया?। तो लोगों को देखने की भीड़ उमड़ पड़ी। हर किसी ने इस मिसाल और पहल की सराहना की।

-नकदी, जेवर सहित उपहार दिए... घी से धुलवाएं हाथ
वाल्मीकि समाज के धुलाराम व उनके परिजनों को भोजन करवाने के बाद धुलाराम व उनकी पत्नी को सोने की अंगूठी, चांदी की पायल सहित अन्य उपहार व नकद दक्षिणा स्वरूप भेंट दी गई। इसके बाद देशी घी से सभी वाल्मीकि परिजनों के हाथ धुलवाकर आचमन करवाया गया। बंवरला गांव में प्रजापत परिवार की ओर से की गई इस अनूठी पहल की गांव के लोगों ने सराहना की। पुराणों में भी इस परम्परा के तहत आपसी भेदभाव मिटाने का संदेश दिया हुआ है। मेरी माताजी रामप्यारी प्रजापति के निधन पर परिवार ने बैठकर यह निर्णय लिया कि समाज में चल रही ऊंच-नीच, भेदभाव की भावना को मिटाकर गांव के वाल्मीकि समाज के परिवार के लोगों को पूरे मान सम्मान पूरे राजशाही ठाठ बाठ से घर लाए। उनको भोजन करवाया और परंपराओं के अनुसार उन्हें सोने चांदी के उपहार भेंट कर उनका मान सम्मान और उनके साथ भाईचारा बढ़ाया। यह हमारे पुरखों के संस्कार है। पूरे गांव की ओर से सहयोग से संभव हो पाया। ऐसा सभी करें, जिससे समाज में बदलाव आएगा।
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