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ईशा ने सरकारी नौकरी छोड़ी, लाडनूं में प्रकृति व अध्यात्म से जुड़ी प्रदेश की पहली अनोखी ढाणी बनाई

अबू बकर बल्खी Sat, 19-Jul-2025

लाडनू(नागौर डेली न्यूज) : लाडनूं के पाबोलाव बालाजी धाम के पास प्रकृति व अध्यात्म से जुड़ी प्रदेश की पहली अनोखी  ढाणी तैयार की गई है। यह गायत्री केंद्र वैदिक संस्कृति, पर्यावरण संरक्षण और महिला स्वावलंबन का अनूठा संगम है, जिसका संचालन गायत्री परिवार शांतिकुंज हरिद्वार से जुड़ी डॉ. ईशा गुर्जर कर रही हैं, जिन्होंने सरकारी अध्यापक की नौकरी छोडक़र अपने जीवन को प्रकृति और आध्यात्म सेवा के लिए समर्पित कर दिया है।

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डॉ. ईशा ने बताया कि गायत्री परिवार शांतिकुंज से जुडऩे के बाद उनका झुकाव आत्मिक साधना और प्रकृति के संरक्षण की ओर हुआ। इस परिवर्तन में उनके पति डॉ. ओमप्रकाश गुर्जर का भरपूर सहयोग रहा। वर्तमान में लाडनूं के पाबोलाव क्षेत्र में राजस्थानी शैली मे मां गायत्री ढाणी की स्थापना की गई है। 
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जिसमें महिलाओं द्वार गोबर से बने दीपक, गमले, धूपबत्ती और सूक्ष्म हवन किट तैयार किए जाते हैं। इन उत्पादों की बिक्री से प्राप्त राशि पूरी तरह गौसेवा और महिलाओं के उत्थान में लगाकर उन्हें स्वावलंबी बनाया जा रहा है। डॉ. ईशा बताती है कि यहाँ पर 50 से अधिक जड़ी-बूटियों से तैयार हवन कप बनाए जा रहे हैं, जो महज 5 मिनट में घर में शुद्धिकरण के प्रयोग में आ रहे हैं।

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इस केंद्र में राजस्थान की पारंपरिक शैली में सप्तऋषि कुटिया, मीरा बाई, रानी लक्ष्मीबाई के नाम से 9 कुटिया बनाई गई है इसके अलावा यहां यज्ञशाला, साधना के लिए प्राचीन गुफाएं, प्राचीन जलस्रोत के कुएं, तालाब और हरियाली से भरपूर एक जंगल भी विकसित किया जा रहा है, जिससे यहां देश विदेश से आने वाले लोगों को एक ही स्थान पर भारतीय संस्कृति और राजस्थानी जीवनशैली का प्रत्यक्ष संगम देखने को मिलेगा।


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