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राष्ट्रीय लोक अदालत व मध्यस्थता के बारे में किया जागरूकता

सद्दाम रंगरेज, प्रधान संपादक Wed, 05-Feb-2025

कुचामनसिटी(नागौर डेली न्यूज) : अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण एवं जिला एवं सेशन न्यायाधीश अरूण कुमार बेरीवाल के निर्देशानुसार अध्यक्ष ताल्लुका विधिक सेवा समिति एवं अपर जिला एवं सेशन न्यायायाधीश सुन्दर लाला खारोल एवं वरिष्ठ सिविल न्यायाधीश एंव अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ज्ञानेन्द्र सिंह ने बार संघ एवं पक्षकारान को राष्ट्रीय लोक अदालत एवं मध्यस्थता के बारे में जागरूक करने के लिए न्यायालय परिसर में जागरूकता कार्यक्रम आयोजन किया। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए खारोल ने कहा कि मध्यस्थता विवाद का निस्तारण के लिए सर्वोत्तम मंच है, जहां पर पक्षकारान के साथ मध्यस्थ द्वारा संयुक्त व एकल वार्ता करवायी जाती है, उसके उपरान्त पक्षकारों की बातों को गोपनीय रखा जाता है।

इस प्रक्रिया में समय व धन दोनों की बचत होती है। साथ ही प्रकरण का अंतिम रूप से निस्तारण होने के साथ-साथ आपसी स्नहे व सौहार्द बना रहता है। इस अवसर पर सुन्दर लाल खारोल ने बार संघ कुचामन के अधिवक्तागण से अपील करते हुए कहा कि वर्ष 2025 की प्रथम राष्ट्रीय लोक अदालत को सफल बनाने के लिए राजीनामा योग्य प्रकरणों अधिक से अधिक संख्या में चिहिन्त कर प्रकरणों को बैंच के लिए रैफर करे एवं प्री-काउसलिंग में सकारात्मक सहयोग प्रदान करते हुये प्रकरणों को जरिये राजीनामे से निस्तारण करवाये। 

 
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कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वरिष्ठ सिविल न्यायाधीश ज्ञानेन्द्र सिंह ने कहा कि वर्ष 2025 की प्रथम राष्ट्रीय लोक अदालत दिनांक 8-3-2025 को आयोजन होना प्रस्तावित है। इसके लिए अधिकार मित्र एवं पैनल अधिवक्ता द्वारा गांव-गांव जाकर प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। इसके  के अतिरिक्त न्यायालयों द्वारा भी पक्षकारों को प्री-काउसलिंग के नोटिस जारी किये जा रहे है ताकि पक्षकारों को लोक अदालत के लाभों से लाभाविन्त किया जा सके। 
 
-गार्जियन एण्ड वार्डस एक्ट के प्रकरण में करवाया राजीनामा 
 
अपर जिला एंव सेशन न्यायाधीश श्री सुन्दर लाला खारोल के समक्ष पक्षकारान का पारिवारिक विवाद का प्रार्थना पत्र गार्जियन एण्ड वार्डस एक्ट का प्रस्तुत होने पर दोनों पक्षों को जरिये नोटिस तलब कर बुलाया गया। दोनों पक्षों के मध्य वार्ता करवाई। प्रकरण जरिये मध्यस्थता से निस्तारण की संभावना को देखते हुए श्री खारोल ने प्रकरण को मध्यस्थता के लिए रैफर किया। जिस पर बाद वार्ता दोनों पक्ष एक मत पर सहमत हुये। 
 
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यह था प्रकरण:-
 
प्रार्थीया व अप्रार्थी के मध्य में अपनी संतानों को लेकर विवाद बना हुआ था। मध्यस्थता वार्ता के पश्चात् दोनों पक्षों ने अपनी संतानों को स्वेच्छा के अनुसार जहां भी रहना चाहे स्वीकार किया। पक्षकारान की संताने जब बालिग होने पर अपने अधिकार के प्रति स्वतन्त्र रहेंगे। दोनों पक्षों ने अपनी संतानों की शिक्षा, स्वास्थ्य आदि की देखभाल हेतु अपनी-अपनी और से पूर्ण सहयोग करने की जिम्मेदारी ली। इस प्रकार दोनों पक्षों ने अपने प्रकरण का जरिये राजीनामे से अंतिम रूप से निस्तारण करवाया।

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